हायटस हर्निया डायाफ्राम की मांसपेशियों का कमजोर होना है, जिससे आपका जठर छाती की ओर खिसक जाता है। इससे अन्ननली के निचले सिरे पर जो वाल्व है(LES वाल्व), वह कमजोर हो जाता है। यह इस एलईएस(LES) वाल्व की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है और कभी-कभी अन्ननली और जठर की कार्यप्रणाली को भी प्रभावित करता है। यह अंत में अलग-अलग गंभीरता के विभिन्न लक्षणों को जन्म देता है। हालाँकि यह बहुत गंभीर स्थिति नहीं है, लेकिन कभी-कभी यह मरीज़ के आहार, पोषण और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती है। ऐसी स्थिति में मरीजों को सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है, जो लेप्रोस्कोपिक पद्धति से की जाती है।
हर्निया का अर्थ है मांसपेशियों का कमजोर होना जिसके कारण उस मांसपेशी में कोई क्षति या छेद हो जाता है, जिससे शरीर के सामान्य अंग उसमें से बाहर आ जाते हैं, जिससे कई समस्याएं पैदा होती हैं। आमतौर पर देखा जानेवाला हर्निया, विभिन्न कारणों की वजह से पेट की दीवार की मांसपेशियों में खराबी के कारण होता है, जिससे आंतें और पेट की चर्बी बाहर निकलकर एक उभार उत्पन्न करती है। क्योंकि वे पेट की दीवार पर होते हैं, उन्हें उभार के रूप में देखा जा सकता है और उनका सोनोग्राफी द्वारा आसानी से निदान किया जा सकता है। सामान्य हर्निया के उदाहरण में शामिल है, इंग्वाइनल और फेमोरल हर्निया (ग्रोइन-पेट के निचले हिस्से और जांघ के बीच का भाग), अम्बिलिकल हर्निया (नाभि), इन्सिशनल हर्निया(शरीर के पिछली सर्जरी की जगह पर), और एपीगैस्ट्रिक हर्निया (छाती और पेट के बीच का भाग)।
हायटस हर्निया एक ऐसा हर्निया है जहां डायाफ्राम की मांसपेशी कमजोर हो जाती है और जिस सामान्य छेद से अन्ननली छाती से पेट में प्रवेश करती है, वह छेद बड़ा हो जाता है। इस छेद के चौड़े या बड़े होने को, जिसे आमतौर पर इसोफेजिअल हायटस कहा जाता है। वहाँ से जठर का ऊपरी हिस्सा छाती की ओर खिसकता है। इसे जठर का छाती में हर्नियेशन होना भी कहते है। हमारे शरीर में पेट के अंदर दबाव अधिक होता है और छाती में दबाव निगेटिव होता है (शरीर की ऐसी कार्यप्रणाली की वजह से फेफडे आसानी से फैल सकते है, जिससे हमें कम प्रयास में सांस लेने में मदद मिलती है), ऐसी स्थितियों में जब हायटस (डायाफ्राम में छेद) बड़ा होता है तब जठर का ऊपर की और बढ़ना एकदम स्वाभाविक होता है। जब भी हम कोई कठिन/मेहनत वाला काम करते है,और यहां तक कि खांसने, छींकने, मलत्याग करने और पेशाब करने जैसी सामान्य गतिविधियों के दौरान भी हमारे पेट पर तेज़ी से दबाव बढ़ जाता है ।
इस प्रकार, हायटस हर्नियावाले मरीज़ो में, जठर के ऊपरी हिस्से के साथ एलईएस(LES) वाल्व अलग-अलग कार्य करते वक्त ऊपर-नीचे हिलता है। कोई भी गतिविधि जो पेट में दबाव बढ़ाएगी वह जठर को छाती में ऊपर धकेल देगी। ऐसा ही गहरी सांस लेने के दौरान भी होता है, जब फेफड़े आसानी से फैल सके इसलिए छाती में दबाव कम होता है। जब पेट पर दबाव कम हो जाता है तो जठर फिर से अपनी सामान्य स्थिति में आ जाता है। कई मरीज़ जिन्हें कई सालों से हायटस हर्निया है, उनके जठर का लगभग आधा या अधिक हिस्सा छाती के अंदर चला गया होता है। ऐसे मरीजों में अक्सर जठर बार-बार छाती में ही रहता है जिससे गंभीर लक्षण सामने आते हैं।
हायटस हर्निया के मरीज़ो के सामान्य लक्षण हैं:
अन्य हर्निया की तरह, हायटस हर्निया में कोई उभार/बल्ज दिखाई नहीं देता है। डॉक्टर द्वारा क्लिनिकल जांच से भी हायेटस हर्निया का निदान नहीं हो सकता है। हालाँकि, आपके पुरानी समस्या के लक्षण कैसे होते थे और अभी भी हो रहे है, इसे जानकर डॉक्टर को हायटस हर्निया होने की संभावना के बारे में संदेह हो सकता है। ऐसे में आगे के टेस्ट करवाने की जरूरत होती है। आवश्यक टेस्ट्स हैं :
सभी मरीज़ो जिसकी एंडोस्कोपी की जाँच में हायटस हर्निया का निदान हुआ है वैसे सभी मरीजों को सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती है। जिन मरीज़ो को गंभीर लक्षण हैं, या जो कई वर्षों से समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उन्हें सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। ऐसे सभी मरीज़ की जिन्हें लंबे समय से समस्या है या समस्याए गंभीर हैं, उन्हें आगे के और टेस्ट्स करवाकर मूल्यांकन करवाना चाहिए ताकि यह तय किया जा सके कि सर्जरी की आवश्यकता है या नहीं। बड़े हायेटस हर्निया वाले मरीजों को भी सर्जरी की आवश्यकता होती है, भले ही उनके लक्षण कम गंभीर हों और/या दवाओं से नियंत्रित हों ।
कुछ मरीज़ो में हायटस हर्निया छोटा होता हैं, लेकिन उनमें GERD या एसिड रिफ्लक्स के लक्षणों के लगातार होने के कारण, उन्हें सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। ऐसे कई मरीज़ है, जो दवाओं से अपने लक्षणों पर अच्छा नियंत्रण पा रहे हैं, लेकिन वे दवाओं पर निर्भर हैं। ऐसी स्थिति में, मरीज़ आजीवन दवाएँ लेने के बजाय सर्जरी का विकल्प चुन सकते हैं। कुछ मरीज़ो पर दवाओं के साइड इफेक्ट्स भी होते हैं और इसलिए उन्हें सर्जरी का विकल्प चुनने के लिए आलावा कोई चारा ही नहीं बचता। ऐसे सभी मरीज़ो में, इसोफेजियल मैनोमेट्री और 24 hr पीएच(pH) इम्पीडेंस स्टडी द्वारा उचित मूल्यांकन किया जाना चाहिए। जब पीएच(pH) इम्पीडेंस स्टडी में GERD की पुष्टि की जाए, तब ही सर्जरी का सुझाव दिया जाना चाहिए।
हायटस हर्निया की सर्जरीलेप्रोस्कोपिक पद्धति द्वारा की जाती है। इस सर्जरी को कीहोल(keyhole) तरिके से करने के लिए 4-5 छोटे चीरे लगाए जाते हैं (एक 1 सेमी और दूसरे 5 मिमी के )। इस सर्जरी के दौरान सबसे पहले आपके जठर और एलईएस(LES) वाल्व का जो हिस्सा छाती में ऊपर चला गया है उसे वापस पेट में लाया जाता है। फिर हायटस (अन्ननली के लिए डायाफ्राम के छेद) को टांके से ठीक किया जाता है। हायटस को टांके लेकर सामान्य आकार का बनाया जाता है। टांके स्थायी/परमानेंट होते हैं और आपके डायाफ्राम को ताकत देने के लिए आजीवन बने रहते हैं। चिंता न करें, क्योंकि ये स्थायी/परमानेंट टांके आपके लिए कोई नुकसान या समस्या पैदा नहीं करेंगे और डायाफ्राम को अच्छी मजबूती देने के लिए ज़रूरी होते हैं ।
कभी-कभी, यदि हमें लगता है कि आपका डायाफ्राम बहुत कमजोर है, या खराबी इतना बड़ी है कि केवल टांके द्वारा बंद नहीं किया जा सकता है, तो इसे ठीक करने के लिए एक मेश/जाली की आवश्यकता हो सकती है। अन्य हर्निया की तरह, इसमें जाली/मेश लगाना कोई नियमित प्रक्रिया नहीं है और इसकी बहुत ही कम आवश्यकता होती है। जब जरूरत न हो तो जाली/मेश लगाने से बचें क्योंकि इससे आपकी भोजन नली को नुकसान पहुंचने की संभावना रहती है। इस प्रकार, इसका उपयोग आखरी उपाय के रूप में तब ही किया जाता है जब का मेश/जाली का उपयोग करना आवश्यक होता है। इसी कारण से हमें लगता है कि सर्जरी में इतनी देरी नहीं होनी चाहिए कि खराबी बहुत बड़ी हो जाए और जाली/मेश लगाना जरूरी हो जाए ।
एक बार हायटस की मरम्मत हो जाने के बाद,आपके जठर के ऊपरी हिस्से(फंडस) को अन्ननली के चारों ओर लपेटकर और उस जगह पर सिलाई करके एक नया वाल्व बनाया जाता है। इसे रैप(wrap) या फंडोप्लीकेशन कहा जाता है।यह अन्ननली में खुराक और एसिड के प्रवाह को वापस आने से रोकने के लिए आवश्यक है।
एनेस्थेसिया के समय को मिलाके पूरी सर्जरी में लगभग 1.5-2 घंटे का समय लगेगा। यह सर्जरी एक्सपर्ट के हाथों से,अच्छे परिणामों के साथ-साथ बहुत सुरक्षित रूप से की जा सकती है।
यह सर्जरी लेप्रोस्कोपिक पद्धति से की जाती है, इसलिए सर्जरी के बाद जल्दी ठीक होना, दर्द रहित और आसान होता है। हमारे सभी मरीज सर्जरी के कुछ ही घंटों में बिस्तर से उठकर चलने-फिरने लगते है। अधिकांश मरीज़ो को सर्जरी के बाद इंजेक्शन वाली दवाओं की आवश्यकता नहीं होती है। उसी दिन तरल पदार्थ/लिक्विड शुरू किया जाता है, और इसके साथ ही उसी दिन पेन किलर/दर्द की गोली शुरू की जाती है। हम सर्जरी के 3-4 घंटे बाद मुंह से तरल पदार्थ/लिक्विड लेने की अनुमति देते हैं, और एक बार जब वे कम्फर्टेबल हो जाते हैं तो उसी दिन नरम खोराक भी शुरू कर दिया जाता है। जल्दी सक्रिय होना (बिस्तर से उठना और इधर-उधर घूमना) और मुँह से खोराक का सेवन करना, न केवल मरीज़ को अच्छा महसूस कराता है बल्कि जल्दी ठीक होने में भी मदद करता है। इस प्रकार, जब मरीज को अगले दिन छुट्टी मिल जाए इससे पहले हम आश्वस्त हो जाते हैं कि मरीज को खाने में कोई खास दिक्कत नहीं हो रही है ।
उनकी प्राथमिक समस्याओं में सुधार में अगर हम लंबे समय के परिणामों की बात करें तो,स्टडी से पता चलता है की सर्जरी के 10 वर्षों के बाद भी 90-95% लक्षण नियंत्रण में होते है। निश्चित रूप से, अच्छे परिणामों के लिए, हमें सर्जरी से पहले उचित मूल्यांकन करने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सर्जरी की सही में आवश्यकता है। यह भी सुनिश्चित करने के लिए कि मरीज की वर्तमान समस्याएं हायटस हर्निया के कारण हैं और इसलिए सर्जरी के बाद सुधार होगा। साथ ही, श्रेष्ठ परिणाम प्राप्त करने के लिए सर्जरी एक एक्सपर्ट सर्जन और उनकी टीम द्वारा की जानी चाहिए। कोशिश यहीं खत्म नहीं होती हैं, और श्रेष्ठ संभव परिणाम प्राप्त करने के लिए सर्जिकल टीम द्वारा अच्छा फॉलो-अप और मरीज़ के द्वारा आहार और जीवनशैली में बदलाव और तनाव/स्ट्रेस मैनेजमेंट की आवश्यकता होती है।
हम ADROIT में सुनिश्चित करते हैं कि ऊपर के सभी पहलुओं को सर्वोत्तम संभव स्तर पर पूरा किया जाए। यही कारण है कि हम अपने मरीज़ो में अच्छे परिणाम देखते हैं। इसलिए हमारे पास बड़ी संख्या में ज़्यादातर संतुष्ट मरीज़ हैं जो हमें उदारतापूर्वक रिकमेंड करते हैं।
क्योंकि इस सर्जरी में, हम आपकी हायटस की मांसपेशियों की मरम्मत कर रहे हैं, तो हम चाहते हैं कि मरम्मत की जगह को ठीक होने का समय मिले। इसलिए हमें ऐसी सभी गतिविधियों से बचना चाहिए जो आपके डायाफ्राम की मांसपेशियों पर दबाव और तनाव पैदा करती हैं। इस प्रकार हम अपने सभी मरीज़ो को सलाह देते हैं कि सर्जरी के बाद शुरुआती 3 महीनों तक भारी वजन उठाने से बचें(5 किलोग्राम से अधिक कुछ भी, आप अपना लैपटॉप या ऑफिस बैग या टिफिन बैग ले जा सकते हैं)। हम अपने मरीजों को शुरुआती 3 महीनों में उन सभी गतिविधियों, व्यायाम और खेल-कूद से दुरी रखने की भी सलाह देते हैं जिनसे उनके पेट पर दबाव बढ़ने की संभावना होती है। हम सर्जरी के बाद शुरुआती 1 महीने के लिए 2-पहिया वाहन चलाने पर भी प्रतिबंध लगाते हैं। शुरुआती 3 महीनों तक मरीजों को पेट के बल सोने से बचना चाहिए, लेकिन एक तरफ (दाएं और बाएं दोनों तरफ) सोने में कोई समस्या नहीं है और पहले दिन से ही ऐसा किया जा सकता है।
हालाँकि, चलना और अपनी अन्य नियमित गतिविधियाँ फिर से शुरू करना, यहाँ तक कि सीढ़ियाँ चढ़ना भी सर्जरी के उसी दिन से शुरू किया जा सकता है। जब आप कम्फर्टेबल महसूस करें तो नियमित घरेलू और ऑफिस का काम कुछ ही दिनों में फिर से शुरू किया जा सकता है। 2-3 सप्ताह के बाद हल्की जॉगिंग फिर से शुरू की जा सकती है और एक महीने के बाद साइकिलिंग भी फिर से शुरू की जा सकती है। आप हमारे यूट्यूब चैनल पर हायटस हर्निया सर्जरी के बाद व्यायाम और कार्यक्षमता पर हमारा वीडियो देख सकते हैं।
यदि आपको हायटस हर्निया के कारण गंभीर लक्षण हो रहे हैं, तो आप सर्जरी से अपनी पीड़ा समाप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, यदि आप लंबे समय से इसके लिए दवाएं ले रहे हैं, तो आजीवन दवाओं की तुलना में सर्जरी एक बेहतर विकल्प हो सकता है। निश्चित रूप से, आपको एक्सपर्ट से कंसल्ट करने की आवश्यकता है ताकि, आप निर्णय ले सके कि आपके मामले में सर्जरी की ज़रुरत है या नहीं। बिना किसी हिचकिचाहट के हमसे बात करे और हम आपकी पीड़ा को समाप्त करने की पूरी कोशिश करेंगे।
आप डॉ. चिराग ठक्कर के साथ वीडियो कंसल्टेशन बुक कर सकते हैं। अपॉइंटमेंट फ़िक्स करने के लिए 91-8156078064 पर कॉल करें।
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डॉ. चिराग ठक्कर एक गेस्ट्रोइंटेस्टिनल सर्जन हैं। वह पिछले 18 वर्षों से गेस्ट्रोइंटेस्टिनल और वेइटलॉस सर्जरी कर रहे हैं। GERD सर्जरी, हायटस हर्निया और मेदस्विता के लिए सर्जरी में उनकी विशेष रुचि और कुशलता के मुख्य क्षेत्र हैं।