GERD/एसिड रिफ्लक्स के कारण बहुत से मरीज़ जीवन की खराब गुणवत्ता से पीड़ित होते हैं। उनमें से कई सालों से दवाइयाँ ले रहे होते हैं। दवाइयों के बावजूद भी कई लोग सालों से पीड़ित हैं। लंबे समय तक ली जाने वाली दवाएँ ऑस्टियोपोरोसिस और आंतों के इंफेक्शन जैसी कई अन्य समस्याओं का भी कारण बनती हैं। लम्बे समय की इस स्थिति मरीज़ों के दिमाग, सोच और मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है। सौभाग्य से, इन सभी समस्याओं का अंत संभव है। इसके लिए सही मूल्यांकन(जाँच), सर्जरी, स्वस्थ जीवनशैली का पालन और यदि आवश्यक हो तो मनोचिकित्सा की आवश्यकता होती है। बिल्कुल सामान्य जीवन में वापस आना संभव है।
एसिड रिफ्लक्स एक जीवनशैली से जुडी बीमारी है। आजकल की तनावपूर्ण और व्यस्त जीवनशैली के कारण इस समस्या काफी तेजी से बढ़ती ही जा रही है। इसलिए, जीवनशैली में परिवर्तन करना और हमारे खाने के तरीके को सही करना न केवल एसिड रिफ्लक्स और हार्टबर्न की समस्या का एक अच्छा समाधान प्राप्त करने के लिए आवश्यक है, बल्कि इसे रोकने के लिए भी आवश्यक है।
हार्टबर्न और एसिड रिफ्लक्स के लिए, हायटस हर्निया जैसे मेकेनिकल कारण और आपके शरीर की मांसपेशियों का कमजोर हो जाने का रुझान जैसे कारण, जिम्मेदारहोते हैं। लेकिन एसिड रिफ्लक्स (GERD) के बढ़ने का प्रमुख कारण बदलती जीवनशैली है। एक स्वस्थ जीवनशैली और खान-पान, एसिड रिफ्लक्स को रोकने या उसकी गंभीरता को कम करने में मदद कर सकता हैं, यहां तक कि उपरोक्त मामलों के साथ भी जो GERD का कारण बनते हैं।
एसिड रिफ्लक्स या GERD का इलाज, मरीज़ को होनेवाली समस्याओं की गंभीरता के आधार पर तय किया जाता है। इलाज का मुख्य उद्देश्य लक्षणों से राहत देना और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है। और भविष्य की जटिलताओं को रोकने के लिए अन्ननली को अधिक नुकसान से बचाना है।
अधिकांश मरीज़ो को मामूली समस्या होती है, जिसके लिए बस कुछ हफ्तों के लिए एंटासिड और जीवनशैली में बदलाव की आवश्यकता होती है।
लेकिन गंभीर बीमारी वाले कुछ मरीजों को सालों तक PPI एंटासिड दवाओं की आवश्यकता होगी। इनमें से कई मरीज़ के लिए सर्जरी ही आदर्श हैं। उनके लिए सर्जरी लगातार दवाइयों का बेहतर विकल्प है। खासकर यदि वे युवा हैं, और 2 साल से अधिक समय से PPI एंटासिड ले रहे हैं।
कुछ मरीज़ो को, दवा लेने के बावजूद भी चिंता देनेवाले लक्षण होते हैं। यह उनकी जीवनशैली और रोजबरोज के काम पर असर डालता है। इन मरीज़ो को सर्जरी से निश्चित रूप से लाभ होता है।
समस्या की अवधि का, इलाज पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। जिन लोगों को कुछ हफ्तों या महीनों से यह समस्या है, दवाएँ बंद करने के बाद भी उनके सामान्य स्वास्थ्य में वापस आने की संभावना अत्यधिक होती है। लेकिन उन्हें आहार और जीवनशैली में सुधार करने पर ध्यान देने की जरूरत है।
जिन लोगों में कई सालों से ऐसे लक्षण चालू और बंद हो रहे हैं और उन्हें बार-बार PPI एंटासिड की आवश्यकता होती है, उनका एंडोस्कोपी द्वारा मूल्यांकन किया जाना चाहिए। उन्हें लंबे समय तक नियमित PPI दवाओं की भी आवश्यकता होती है। दवाओं से छुटकारा पाने की कोशिश करने से पहले आहार और जीवनशैली में उचित बदलाव किया जाना चाहिए।
कई मरीज़ पहले से ही 2 साल से अधिक समय से PPI एंटासिड दवाएं ले रहे होते हैं, और उन्हें बंद करने में असमर्थ होते हैं। उन्हें समझना चाहिए कि जबतक कि वे सर्जरी के लिए आगे नहीं बढ़ेंगे, तबतक अधिकतर उन्हें आजीवन दवाओं की आवश्यकता होगी। बेशक, सर्जरी एसोफेजियल मैनोमेट्री और 24 hr pH विथ इम्पीडेंस स्टडी द्वारा उचित मूल्यांकन के बाद ही की जाती है।
ऐसे मरीज़ भी होते है, जिन पर दवाओं का बिल्कुल भी असर नहीं होता है। उन्हें एंडोस्कोपी, एसोफेजियल मैनोमेट्री और 24 hr pH विथ इम्पीडेंस स्टडी द्वारा उचित मूल्यांकन की आवश्यकता होती है।
दवाओं का असर नहीं होने का एक कारण गलत निदान हो सकता है। ऐसे कई मरीज़ो, में अन्ननली की विभिन्न गतिशीलता(motility) संबंधी गड़बड़ी हो सकती हैं। मैनोमेट्री स्टडी में इसका पता लगाया जा सकता है। इन मरीज़ो का इलाज GERD से अलग है और निदान होने के बाद इसकी योजना बनाई जा सकती है।
दवा का असर न होने का एक अन्य कारण बहुत गंभीर एसिड रिफ्लक्स या गैर-एसिड रिफ्लक्स हो सकता है। इसकी पुष्टि 24 hr pH विथ इम्पीडेंस स्टडी से की जाएगी। ऐसे सभी मरीज़ो को लेप्रोस्कोपिक एंटीरिफ्लक्स या फंडोप्लीकेशन सर्जरी से लाभ होगा।
तीसरी संभावना यह है कि मरीजों को जो समस्याएं आ रही हैं, वे फंक्शनल हों। इसका मतलब है कि कोई बीमारी नहीं है और फिर भी मरीजों में परेशान करने वाले लक्षण हैं। ऐसे मामलों में मैनोमेट्री और pH इम्पीडेंस स्टडी सामान्य(normal) होते है। इन समस्याओं को भी इसका का निदान होने के बाद बहुत प्रभावी रूप से हल किया जा सकता है। इसलिए, आप समझ सकते हैं की उन मरीज़ो के लिए इन परीक्षणों का कितना महत्व है, जो लंबे समय से दवाओं से कोई सुधार नहीं होने से पीड़ित हैं।
ऐसे कुछ मरीज़ हैं जिन पर दवाओं का अच्छा असर होता है लेकिन वे इन्हें बंद करने में असमर्थ होते हैं। दवाएँ बंद करने पर लक्षण तुरंत शुरू हो जाते हैं। कई लोगों के लिए एक दिन के लिए भी दवाएँ न लेना एक बुरे सपने जैसा हो सकता है। और ऐसे कई मरीज़ वर्षों से एसिड दबाने/नियंत्रित करने वाली ये दवाएं(PPI) ले रहे हैं।
PPI एंटासिड दवा के लंबे समय के उपयोग के दुष्प्रभाव
ऐसे सभी मरीजों को मैं बताना चाहूंगा कि, यह सभी दवाइयां साइड इफेक्ट्स के बिना की नहीं है। हालाँकि इन दवाओं का तत्काल और गंभीर दुष्प्रभाव नहीं होता है। लेकिन वर्षों तक इनका सेवन करने से आपके पाचन तंत्र और अन्य महत्वपूर्ण अंगों पर प्रभाव पड़ता है। यह आपकी आंत के बैक्टीरिया में परिवर्तन, बार-बार पाचन मार्ग(GI) के इंफेक्शन, IBS और C.difficile(Clostridioides difficile) नामक बेक्टेरिया के इंफेक्शन का कारण बन सकता हैं। लंबे समय तक PPI या एसिड नियंत्रण करने वाली दवाएं लेने से, विटामिनों का अवशोषण कम होने से विटामिन की कमी होना, ऑस्टियोपोरोसिस, श्वसन या फेफड़ों के इंफेक्शन जैसी अन्य समस्याएं सामान्यरूप से होती हैं।
इसलिए, ऐसे सभी मरीज़ो के लिए सर्जरी एक-बार का बेहतर समाधान है। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि ऐसे सभी मरीज़ो का मैनोमेट्री और pH इम्पीडेंस स्टडी द्वारा उचित मूल्यांकन होना चाहिए। मूल्यांकन महत्वपूर्ण है ताकि निदान की पुष्टि की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि सर्जरी की आवश्यकता है या नहीं और इससे लक्षणों में सुधार होगा। यदि मूल्यांकन के बाद सर्जरी ठीक से की जाए, तो सर्जरी के बाद एसिड दबाने/नियंत्रित करने वाली दवाएं(PPI) बंद की जा सकती हैं।
वे सभी मरीज़ जो लंबे समय से एसिड रिफ्लक्स से पीड़ित हैं, उनके जीवन की गुणवत्ता काफी प्रभावित होती है। नींद में बाधा, फोकस की कमी के कारण कुशलता से काम करने में असमर्थता और काम में बार-बार ब्रेक लेना कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। लक्षणों का डर, लक्षणों पर लगातार ध्यान केंद्रित करना और परेशान करने वाले विचार भी बहुत आम हैं। ये मुद्दे सारी समस्याओं की गंभीरता को बढ़ाते हैं और इलाज को कठिन बनाते हैं। ऐसी स्थितियों में, इस दुष्चक्र को तोड़ने के लिए लक्षणों को नियंत्रित करने और मनोवैज्ञानिक/साइकोलॉजिकल मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक आक्रमक उपचार की रणनीति की आवश्यकता होती है।
मैं इस बात पर ज़ोर देना चाहूँगा कि स्थिति निराशाजनक नहीं है जैसा कि ऐसे कई मरीज़ महसूस करते हैं। यदि इसे सुयोग्य तरीके से संबोधित किया जाए, तो इसे हल किया जा सकता है और कम से कम या बिना दवाओं के रोज़ाना के जीवन में सामान्य स्थिति प्राप्त की जा सकती है। लेकिन ऐसा करने के लिए उचित मूल्यांकन की आवश्यकता होती है। यह समझने की भी जरूरत है कि यह सिर्फ एसिड रिफ्लक्स की समस्या नहीं है, इसमें फंक्शनल या IBS या मनोवैज्ञानिक/साइकोलॉजिकल समस्या भी जुड़ी हुई है (जो प्रत्येक मरीज़ में अलग होती है)। और इन मुद्दों पर भी ध्यान देने की जरूरत है।
जिनमें लंबे समय से GERD या एसिड रिफ्लक्स के लक्षण हैं, ऐसे सभी मरीज़ो के लिए संपूर्ण जांच बहुत ज़रूरी है। यदि दवाएं आपके लक्षणों में सुधार नहीं कर रही हैं या आपको लगातार दवाओं की आवश्यकता है तो संपूर्ण जांच अधिक महत्वपूर्ण है।
एंडोस्कोपी प्राथमिक जांच है। यदि आपकी सीने की जलन दवा से ठीक नहीं होती है या PPI (एसिड दबाने/नियंत्रित करने वाली दवाओं) के एक कोर्स के बाद फिर से होती है, तो एंडोस्कोपी करवाने की सलाह दी जाती है। उन सभी मरीज़ो के लिए जिन्हें पहली बार सीने में जलन हुई हो, उन्हें इसकी आवश्यकता नहीं है। खासकर अगर वे सब जिस को यह दवाईया असर करती है।
लेकिन यदि आपको खुराक निगलने पर फंसने का अहसास हो तो एंडोस्कोपी जरूरी है। यह कुछ खतरे का संकेत देते लक्षणों जैसे, वजन घटना, एनीमिया, काला मल होना या उल्टी में खून होने जैसे लक्षणों के लिए भी इसकी आवश्यकता होती है।
यह उन सभी मरीज़ो के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्टडी है जिनमें लंबे समय से एसिड रिफ्लक्स के लक्षण हैं। यह अन्ननली की समस्याओं की बहुत स्पष्ट तस्वीर देता है। यह न केवल एसिड रिफ्लक्स की पुष्टि करता है, बल्कि यह रिफ्लक्स की गंभीरता और अन्य अन्ननली की गतिशीलता सम्बंधित समस्याओं के बारे में भी जानकारी देता है। यह सारी जानकारी इलाज की योजना तय करने में मदद करती है।
GERD/एसिड रिफ्लक्स और हायेटस हर्निया सर्जरी से पहले यह करवाना जरूरी होना चाहिए। 24 hr pH इम्पीडेंस स्टडी उन सभी मरीज़ो के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है जो लंबे समय से दवाएँ लेने के बावजूद पीड़ित हैं। एसोफेजियल मैनोमेट्री मांसपेशियों के लयबद्ध संकुचन को मापती है जो निगलते समय आपके अन्ननली की मांसपेशियों में होती है। एसोफेजियल मैनोमेट्री आपके अन्ननली की मांसपेशियों द्वारा लगाए गए बल और इनके बीच का को-ऑर्डिनेशन भी मापता है। यह जांच आपके डॉक्टर को बताएगी कि क्या आपकी अन्नप्रणाली सामान्य रूप से भोजन को आपके जठर तक ले जाने में सक्षम है की नहीं ।
वह जाँच GERD की नियमित जाँच नहीं हैं। कभी-कभी सर्जरी की योजना बनाने से पहले, यदि बहुत बड़ा हायेटस हर्निया हो तो इसकी आवश्यकता होती है। इसका इस्तेमाल अन्य बीमारियों को ख़ारिज करने के लिए भी किया जाता है जब डॉक्टर को आपकी समस्याओं पर संदेह हो। आमतौर पर, यह उन मरीज़ो के लिए है जिनके लक्षणों में दवाओं से सुधार नहीं हो रहा है।
वे सभी मरीज़ जिनमें GERD की पुष्टि हो चुकी है, और फिर भी दवाओं से पूरी तरह राहत नहीं मिल रही है, उन्हें सर्जरी करवानी चाहिए। ऐसे कई मरीज़ो में GERD की समस्याओं का एक लंबा इतिहास होता है। इनमें से ज़्यादातर मरीज़ो में दवाओं से शुरुआत में सुधार होता है, लेकिन समय के साथ समस्याएं बदतर हो जाती हैं। और फिर मरीज़ो में दवाओं के साथ भी लक्षण होते हैं।
इनमें से कुछ मरीज़ो में दवाओं के साथ भी, बड़ी मात्रा में खट्टा ना हो ऐसा खुराक या पानी गले में आता है। इसलिए, उन्हें दवा लेने पर भी समस्या होती है और सर्जरी से उनमें काफी सुधार होने की संभावना है। कुछ अन्य लोगों में समय के साथ IBS या मनोवैज्ञानिक/साइकोलॉजिकल सम्बंधित गंभीर बीमारी की समस्या उत्पन्न हो जाती है। यदि सर्जरी के साथ GERD को आक्रामक तरीके से नियंत्रित किया जाए और इसके बाद दवाओं और मनोचिकित्सा के साथ साइकोमॉड्यूलेशन किया जाए तो उनमें भी सुधार होता है ।
इसलिए GERD के साथ होनेवाली बीमारी जैसे फंक्शनल GI समस्या और मनोवैज्ञानिक सम्बंधित समस्या के होने का यह मतलब नहीं है कि GERD के लिए सर्जरी नहीं की जानी चाहिए। बल्कि, यदि pH इम्पीडेंस स्टडी GERD दिखाता है, तो GERD के लक्षणों का आक्रामक नियंत्रण, फंक्शनल और मनोवैज्ञानिक मुद्दों को बेहतर तरीके से नियंत्रित करने में मदद करता है। लेकिन सर्जरी संपूर्ण मूल्यांकन, फंक्शनल समस्याओं और उनकी गंभीरता को समझने के बाद ही की जानी चाहिए। और इन सभी बातों पर सर्जरी से पहले मरीज़ों के साथ विस्तार से चर्चा की जानी चाहिए। दरअसल यह स्पष्टीकरण ऐसे मरीज़ो में होनेवाली फंक्शनल समस्याओं के इलाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
बड़ी संख्या में ऐसे मरीज़ हैं जिन पर PPI(एसिड-दबाने/नियंत्रित करने वाली) दवाओं का बहुत अच्छा असर होता है। दवा लेने पर उनके जीवन की गुणवत्ता सामान्य होती है और कोई लक्षण नहीं होते है । लेकिन वे लंबे समय से ये दवाएं ले रहे हैं और इन्हें रोक नहीं सकते है । दवाएँ बंद करने पर लक्षण फिर से आ जाते हैं।
ऐसे सभी के लिए सर्जरी इलाज का एक बेहतर विकल्प है। यदि हम तुलना करे तो यह युवा लोगों के लिए तो और भी अधिक बेहतर विकल्प है। हालाँकि दवाएँ जारी रखना भी इलाज का सही विकल्प है। खासकर यदि आप 2 साल से अधिक समय से PPI दवाएं ले रहे हैं तो यह बेहतर विकल्प है। आप जितने उम्र में छोटे होंगे, आपको सर्जरी के विकल्प पर उतनी ही दृढ़ता से विचार करना चाहिए।
यदि आप 2 साल से अधिक समय से एसिड दबाने/नियंत्रित करने वाली दवाएं ले रहे हैं। और बार-बार लक्षण दिखने के कारण इन्हें रोकने में असमर्थ हैं, तो इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि आपको जीवन भर इन दवाओं को लेने की आवश्यकता पड़ेगी। जब तक आप ढीला(LAX) वाल्व या हायटस हर्निया की मेकेनिकल समस्या को सर्जरी द्वारा ठीक नहीं करवा लेते, तबतक आपको जीवन भर इन दवाओं को लेने की आवश्यकता पड़ेगी।
आपको यह समझना चाहिए कि एसिड ज़्यादा बनना कोई समस्या की बात नहीं है। समस्या आपके अन्ननली और जठर के बीच वाल्व की मेकेनिकल खराबी होने के कारण है। जिस वजह से एसिड और खाना जठर से अन्ननली में आता है। और हम दवाओं द्वारा एसिड को दबा रहे है (जठर में एसिड का बनना हमारे शरीर की सामान्य शारीरिक क्रिया का एक हिस्सा है और पाचन, कुछ विटामिन और कैल्शियम के एब्ज़ोर्प्शन/अवशोषण और आंत के बैक्टीरिया को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है), लेकिन, हम दवाओं द्वारा इस वाल्व मेकेनिज्म को सुधार नहीं सकते हैं।
इसलिए, दवाएं शुरुआती समय के लिए और उन मरीजों के लिए ठीक है जिनकी समस्या बहुत गंभीर नहीं है। उन सभी मरीज़ो के लिए जिन्हें कभी-कभार दवाओं की आवश्यकता होती है और स्वस्थ जीवन शैली का पालन करके दवा से छुटकारा पा सकते हैं, उनके लिए मेडिकल इलाज काफी अच्छा है। वे सभी जो जीवनशैली में बदलाव के साथ भी दवा बंद करने के प्रयास में असफल रहे हैं, उन्हें यह स्वीकार करने की आवश्यकता है कि यह अत्यधिक संभावना है कि उन्हें जीवन भर इन दवाओं को लेने की आवश्यकता होगी। और इसलिए, लेप्रोस्कोपिक सर्जरी एक बेहतर विकल्प है।
किन मरीजों को सर्जरी से बचना चाहिए
वे सभी मरीज़ जिन पर दवा का कोई असर नहीं हो रहा है, उन्हें एंडोस्कोपी, एसोफेजियल मैनोमेट्री और 24 hr pH स्टडी द्वारा पूरा मूल्यांकन करवाने की आवश्यकता है। यह जांचे यह पुष्टि करेंगी की आपको GERD की समस्या है या नहीं। जिन लोगों को आंतो की गतिशीलता संबंधी कोई अन्य समस्या है या फंक्शनल लक्षण हैं, उन्हें सर्जरी नहीं करवानी चाहिए। ऐसे सभी मरीजों को सर्जरी के बाद अधिक समस्या होने की संभावना रहती है।
इसके आलावा, बुजुर्ग़ मरीज़ (65 वर्ष से अधिक आयु वाले) जिन्हें कई मेडिकल समस्याएं हैं जिससे सर्जरी का जोखिम बढ़ जाता हैं, उन्हें सर्जरी से बचना चाहिए। खासकर यदि उनके लक्षण दवाओं से नियंत्रित हों। ऐसे कुछ मरीज़ जिनकी गंभीर समस्याएँ दवाओं से ठीक नहीं हो रही हैं, वे उचित जोखिम के साथ सर्जरी पर विचार कर सकते हैं (यह स्थिति काफी कम देखने को मिलती है)।
साथ ही, वे सभी मरीज़ जिन्हें लंबे समय (2 वर्ष से अधिक) से समस्या है, लेकिन रुक-रुक कर दवाओं की आवश्यकता होती है, वे सर्जरी से बच सकते हैं। लेकिन उन्हें जीवनशैली में बदलाव का पालन करना चाहिए ताकि भविष्य में सर्जरी की आवश्यकता की संभावना कम हो जाए।
उचित रूप से चुने गए मरीज़ो के लिए, सर्जरी के परिणाम श्रेष्ठ होते हैं। रिसर्च से यह पता चलता हैं कि 95% मरीज़ो को लंबे समय तक अच्छे परिणाम मिलते हैं और वे PPI (एसिड दबाने/नियंत्रित करने वाली) दवाओं का सेवन बंद कर सकते हैं। यह सर्जरी लेप्रोस्कोपिक टेकनीक से पिछले 25 सालों से दुनिया भर में की जा रही हैं। इसलिए, हमें इस सर्जरी के बाद के लंबे समय के परिणामों, जोखिमों और समस्याओं की समझ है।
सर्जरी के तुरंत बाद के परिणाम
सर्जरी के बाद शुरुआती रिकवरी काफी तेज और सहज होती है। हमारे यहाँ, हमारे सभी मरीज़ो को सर्जरी के 3 घंटे के अंदर बिस्तर से उठाया जाता है, और उन्हें बहुत कम दर्द होता है। किसी भी यूरिन कैथेटर की आवश्यकता नहीं होती है और सर्जरी के कुछ घंटों में सभी मरीज़ वॉशरूम जा पाते हैं। मुँह से लिक्विड पदार्थ और आहार भी उसी दिन शुरू किया जाता है। सर्जरी के 24 घंटे से भी कम समय में सभी मरीजों को सर्जरी के अगले दिन छुट्टी दे दी जाती है।
सर्जरी के दौरान आपके जठर से एक नया वाल्व बनाया जा रहा है, इसलिए खाने के दौरान शुरुआती दिनों में छोटी-मोटी समस्याएं होने की संभावना होती है। शुरुआती दिनों में आपको खाना निगलने में थोड़ी दिक्कत होने की संभावना है। लेकिन यह समस्या कुछ समय की है और अपने आप ठीक हो जाती है। सर्जरी के बाद शुरुआती दिनों में आपको धीरे-धीरे और अच्छे से चबाकर खाना होगा। खाने के निवाले को नए वाल्व से गुजरने में मदद करने के लिए आपको कभी-कभी बीच में एक घूंट पानी की आवश्यकता हो सकती है।
इनमें से ज़्यादातर मरीज़ो को हल्की समस्याएं होती हैं और एक सप्ताह से 10 दिनों के अंदर सुधार आ जाता है। कभी-कभी, कुछ मरीज़ो को लगभग 4-6 सप्ताह के लंबे समय तक इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन लगभग सभी मरीज़ो को पूरी तरह सुधार मिलता है और उन्हें किसी और प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं होती है।
इसके अलावा, चूंकि आपके जठर का एक हिस्सा वाल्व बनाने के लिए उपयोग किया जाता है, इसलिए आप कम मात्रा में भोजन से पेट भरा हुआ महसूस करेंगे। इसलिए शुरुआत में आपको एक समय में कम मात्रा में भोजन करना होगा। इस बदलाव की भरपाई के लिए आप अधिक बार खा सकते हैं। फिर से, यह थोड़े समय की समस्या है और 4-6 सप्ताह के समय में धीरे-धीरे इसमें सुधार हो जाता है।
सभी सर्जरी के अपने-अपने जोखिम होते हैं। हालाँकि यह सर्जरी तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण है और कुछ चुनिंदा सेंटर्स पर ही की जाती है, लेकिन आज के समय में यह सबसे सुरक्षित सर्जरी में से एक है। जब यह एक अनुभवी सर्जन द्वारा की जाती है, तो इसका जोखिम नियमित रूप से की जाने वाली लैपरोस्कोपिक हर्निया और पित्ताशय सर्जरियों के जैसा ही होता है।
उचित रूप से चुने गए मरीज़ो में, और जब सर्जरी स्टैंडर्ड तरीके से की जाती है, तो ज़्यादातर मरीज़ PPI (एसिड-दबाने वाली) दवाओं को पूरी तरह से बंद करने में सक्षम होते हैं।
जब मरीज़ो में कब्ज और IBS जैसी अन्य GI समस्याएं होती हैं, तो GERD के लिए लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद इन समस्याओं के लिए दवाओं की आवश्यकता हो सकती है। हालाँकि, एक बार जब एसिड रिफ्लक्स में सुधार हो जाता है और PPI बंद हो जाती है, तो यह अत्यधिक संभावना है कि इन समस्याओं के लिए दवा की आवश्यकता भी कम हो जाएगी।
वे मरीज़ जिनके जीवन की गुणवत्ता दवाएँ लेने के बाद भी ख़राब है, सर्जरी के बाद उनके जीवन की गुणवत्ता में बहुत महत्वपूर्ण सुधार होता है। उनका खान-पान, सामाजिक जीवन और व्यावसायिक जीवन सामान्य स्तर पर लौट सकता हैं।
यहां तक कि उन मरीज़ो के लिए भी जिनके लक्षण दवाओं से दूर हो जाते हैं, सर्जरी के बाद उनके जीवन की गुणवत्ता दवाओं की तुलना में बेहतर होती है। बड़े अंतरराष्ट्रीय रिसर्चने हजारों मरीज़ो के परिणामों का विश्लेषण करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है।
अधिकांश मरीज़ों को यह चिंता रहती है कि सर्जरी जीवन भर चलेगी या नहीं। और उन्हें मेरा उत्तर यह है कि, यदि आप स्वस्थ जीवनशैली के बुनियादी मानदंडों/आदर्शों का पालन करते हैं तो यह एक स्थायी/परमानेंट समाधान होना चाहिए।
और जब हम सर्जरी की तुलना मेडिकल इलाज से करते हैं तो हम मेडिकल इलाज के बारे में कभी भी यहीं प्रश्न नहीं पूछते हैं।
दीर्घकालिक रिसर्चों ने 90-95% मरीज़ो में लंबे समय में भी अच्छे परिणाम दिखाए हैं। लेकिन हमें यह समझना चाहिए कि सर्जरी इलाज का एक हिस्सा है और आदर्श दिन-प्रतिदिन की जीवनशैली और आहार इलाज के महत्वपूर्ण अंग है।
मैं यह कहकर अपनी बात समाप्त करूंगा कि लेप्रोस्कोपिक सर्जरी GERD/एसिड रिफ्लक्स के इलाज के लिए एक बेहतरीन साधन है। यह GERD से पीड़ित कई मरीज़ो की बहुत गंभीर और निराशाजनक स्थिति का समाधान है। इसलिए GERD के वे मरीज़ जिनका जीवन स्तर ख़राब है, कई वर्षों से पीड़ित हैं और कई वर्षों से PPI( एसिड-दबाने वाली) दवाएँ ले रहे हैं, कम से कम उन्हें सर्जरी के विकल्प पर विचार करना चाहिए।